कैसे इन मूर्खों को समझाऊ अपनी मूह जबानी - Satnam Dharm (सतनाम धर्म)

मंगलवार, 11 नवंबर 2014

कैसे इन मूर्खों को समझाऊ अपनी मूह जबानी

कैसे इन मूर्खों को समझाऊ अपनी मूह जबानी

कैसे इन मूर्खों को समझाऊ अपनी मूह जबानी !२!
कहते है काल्पनिक है ,गुरु जी की हर कहानी ------
(३)-राम कुलअपने को माने ,रोज पढ़े रामायण ,
कहे की हम भी सतनामी माने देवनारायण !२!
ब्राह्मणवाद को ये खुद माने, झूठ्लाये गुरु बानी ,
कैसे इन मूर्खों को समझाऊ अपनी मूह जबानी !२!
कहते है काल्पनिक है ,गुरु जी की हर कहानी -----
(३)-बुद्ध -भीम की पूजा करे सतनामी को भरमाये ,
दूसरा कोई इसे कोसे तो फिर काहे चिल्लाये!२!
ब्राह्मणवादी जात से चिपके है,ये इनकी मनमानी,
कैसे इन मूर्खों को समझाऊ अपनी मूह जबानी !२!
कहते है काल्पनिक है ,गुरु जी की हर कहानी -----
(४)-गुरु प्रथ को ख़तम करने की प्रेरणा देते फिरे ये ,
जोजो महिमा गुरु घासी ने की है उसकी निंदा करते ये !२!
कहते है सब काल्पनिक है ,सच्ची नही कहानी ,
कैसे इन मूर्खों को समझाऊ अपनी मूह जबानी !२!
कहते है काल्पनिक है गुरु जी की हर कहानी ---------
(५)-सतनामी हूँ कहते ये बुद्ध धर्म की देते दुहाई ,
अपने ही कुल के निंदा करते कैसी इनकी खुदाई !२!
वा भाई वा ये कैसे सतनामी ,कैसे है ये ज्ञानी !२!
कैसे इन मूर्खों को समझाऊ अपनी मूह जबानी !२!
कहते है काल्पनिक है ,गुरु जी की हर कहानी ---------
(६)-जातिवाद और ब्राह्मणवाद को खुद ही देते बढ़ावा ,
उनको ही ये लोग गुरु बनाते और रोज करे चढ़ाव !२!
न जाने कितने सतनामी के पूर्वज ,दी इनके लिए कुर्बानी ,
कैसे इन मूर्खों को समझाऊ अपनी मूह जबानी !२!
कहते है काल्पनिक है गुरु जी की हर कहानी -----------
(७)-छय महीना के मरे मुर्दा को जिन्दा किये गुरु घासी ,
गुरु जी की ये निंदा करते क्यों न लगाते ये फांसी !२!
ऐसे मूर्ख क्यों न मरते ले चुल्लू भरके पानी ,
कैसे इन मूर्खों को समझाऊ अपनी मूह जबानी !२!
कहते है काल्पनिक है ,गुरु जी की हर कहानी -----------
(८)-सतनामियों के क्रिया कलाप को कहते ब्राह्मणवादी ,
ब्राह्मणवाद को येही पनपाते कपडा पहनते खादी !२!
कैसी इनकी सोंच है यारों ,कैसी ये नादानी ,
कैसे इन मूर्खों को समझाऊ अपनी मूह जबानी !२!
कहते है काल्पनिक है गुरूजी की हर कहानी

संकलन श्री मंगल चातुरे

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