मूल्य एवं मंहगाई नियंत्रण करने के संबंध में सुझाव। - Satnam Dharm (सतनाम धर्म)

सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

मूल्य एवं मंहगाई नियंत्रण करने के संबंध में सुझाव।

प्रति,
माननीय श्री नरेन्द्र मोदी
प्रधानमंत्री, भारत सरकार,
नई दिल्ली 

विषय:- मूल्य एवं मंहगाई नियंत्रण करने के संबंध में सुझाव।


माननीय महोदय,

सर्व प्रथम आपके संज्ञान में यह बात लाना अत्यंत आवश्यक है कि कृषक वर्ग जो खाद्य पदार्थों के मुख्य उत्पादक है। ये कृषक वर्ग प्रायः प्रायः गरीब और गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले होते हैं जो कडी मेहनत करते हुए फसलों का उत्पादन - कृषि उपकरणों, रसायनिक पदार्थो के अभाव में इस भय के साथ करते है कि कहीं अतिवृष्टि न हो जाए या ऐसा न हो कि वर्षा ही न हो अथ्वा औसत वर्षा से कम वर्षा हो या वांछित समय पर न होकर अवांछित समय पर वर्षा होकर फसल को बरबाद न करदे। 

महोदय, उपरोक्त समस्याओं/कठिनाईयों के बावजूद जब किसान अपने फसल का उत्पादन कर भी लेता है, तब उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं का मूल्य भी व्यापारी वर्ग द्वारा स्वयं से कम कर दिया जाता है। इस संबंध में श्रीमान् को मै एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहती हूं:-

जिस समय प्याज की उत्पादन होती है, प्याज की मूल्य 8 रूप्ये से 10 रूप्ये कर दिये जाते हैं उसके बाद यही प्याज बरसात लगते ही 80 रूप्ये से 100 रूप्ये हो जाते हैं। ऐसा क्यों ?

कारण यह है कि किसान से प्याज लेने की न्यूनतम मूल्य और व्यापारी द्वारा प्याज बेचने की अधिकतम मूल्य निर्धारित नही है।
(महोदय मूल्य वृद्धि की समस्या केवल प्याज में ही नही है, दाल इत्यादि में और भी अधिक है, किसानों से अरहर को 35 से 45 रूप्ये मूल्य पर खरीदा गया और आज दाल 140 से 160 रूप्ये की चरम सीमा पर है।)

अतएव ऐसे स्थिति से निपटने के लिए यह व्यवस्था हो कि आम नागरिकों के दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाले आवश्यक वस्तओं को केन्द्र सरकार/राज्य सरकार द्वारा सूचीबद्ध कर लिया जाए। सूचीकरण कर वस्तुओं का समर्थन मूल्य निर्धारित किया जावे कि उत्पादक/कृषक से व्यापारी वर्ग कम-से-कम किस मूल्य पर वस्तुओं को खरीदेगी। (न्यूनतम समर्थन मूल्य, वस्तुओं के लागत मूल्य और वर्तमान की मंहगाई दर को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की जाए, ताकि कृषक वर्ग को इस मूल्य से फायदा न भी हो तो उनका जीवनयापन हो सके और वह आत्महत्या के लिए प्रेरित न हो)। महोदय समर्थन मूल्य के उपरांत व्यापारीवर्ग द्वारा अधिकतम किस मूल्य पर वस्तुओं का विक्रय किया जा सकेगा यह भी निर्धारित कर लिया जाए। जो न्यूनतम समर्थन मूल्य से अनुमानित/अधितम 25 फिसदी (25 फिसदी उदाहरण के लिए लिखा गया है - यह प्रतिशत केन्द्र/राज्य सरकार के ऐसे आयोग/इकाई द्वारा निर्धारित की जाए जो राज्य/देश में मंहगाई के लिए उत्तरदायी रहता हो) पर ही विक्रय करना वैध हो, इस मूल्य से अधिक पर विक्रय गैर-कानूनी अपराध की श्रेणी में आए। 
(धान, गेहूं, कोदो, सोयाबीन, अरहर, लाकडी, चना, प्याज, लहसुन, हल्दी, मिर्च, तिल, सरसों, धनिया, अरसी इत्यादि वस्तुओं और शब्जीओं पर तत्काल प्रभाव से मूल्य नियंत्रण आवष्यक है)


नशीले पदार्थो/वस्तुआें पर उत्पादन/विक्रय शूल्क बढाने के संबंध में सुझावः-

माननीय महोदय, चूंकि नशीले पदार्थ/वस्तुएं जीवन के लिए आवश्यक नही है वरन हानिकारक ही है। महोदय मै नशीले पदार्थो/वस्तुओं के उत्पादन और विक्रय के पक्ष में बिलकुल नही हूं फिर भी राज्यों लिए मुख्य रूप से आय की स्त्रोत के रूप प्रचारित होने के कारण इस व्यवस्था की लाभ उठाने के नियत से नसीले पदार्थों/वस्तुओं के उत्पादन/विक्रय शूल्क बढानें की अनुरोध करती हूॅं। भारत भर में यह बात सबके संज्ञान में है कि नशीले पदार्थ ही गरीब और मध्यम वर्ग के विनाश के दुसरे मुख्य कारण है (पहला कारण मंहगाई है) इसलिए माननीय महोदय से निवेदन है कि ऐसे वस्तुओं पर वर्तमान प्रचलित दर से कम-से-कम 200 फिसदी उत्पादन/विक्रय शूल्क निर्धारित किये जाएं। इस शूल्क के वसूली के संबंध में निवेदन है कि यह शूल्क वसूलकर ऐसे धनराशि को शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों पर लगाया जाए। ताकि देश का हर नागरिक शिक्षित और कौशल प्राप्त हो। 

वर्तमान में देश में चल रहे प्रधानमंत्री कौशल कार्यक्रम अत्यंत ही प्रशंसनीय है इसके साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य में श्रम विभाग द्वारा चलाये जा रहे कौशल कार्यक्रम तो और भी अधिक प्रशंसनीय और प्रभावकारी हैं - इसके अंतर्गत राज्य के गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले रोजगार गारंटी योजना के तहत पंजीकृत ऐसे परिवार जिसके माता-पिता अथ्वा स्वयं लगभग 50 दिन से अधिक कार्य किए हो को प्रतिदिन प्रशिक्षण में आने पर प्रचलित मजदूरी दर से छात्रवृत्ति भी प्रदान किया जाता है और धांधली रोकने के संबंध में यह व्यवस्था है कि प्रशिक्षण में शामिल होने वाले अभ्यार्थियों का प्रतिदिन फिंगर प्रिंट ली जाती है। तथा श्रम निरीक्षक प्रतिदिन ट्रेनिंग पार्टनर संस्थान में भ्रमण करने हैं - मुझे ऐसा जानकारी है।

माननीय प्रधानमंत्री महोदय, मूझे आपके कार्यशैली पर पूर्ण विश्वांस है इसलिए मै यह दावा करने में गौरव का अनुभव करती हूं कि अच्छे दिन आएंगें। 

महोदय उपरोक्त व्यवस्था के लागु/प्रसारित होने की आपेक्षा में .....................


भवदीया
दिनांक 09/10/2015
स्थान नया रायपुर
श्रीमती विधि हुलेश्वर जोशी

Kindly Share on Social Media - Satnam Dharm

EMozii-for Comments on SATNAM DHARM

Durgmaya Educational Foundation

हम भारत के नागरिकों के लिए भारत का संविधान समस्त विश्व के सारे धार्मिक पुस्तकों से अधिक पूज्यनीय और नित्य पठनीय है। यह हमारे लिए किसी भी ईश्वर से अधिक शक्ति देने वाला धर्मग्रंथ है - हुलेश्वर जोशी

निःशूल्क वेबसाईड - सतनामी एवं सतनाम धर्म का कोई भी व्यक्ति अपने स्वयं का वेबसाईड तैयार करवाना चाहता हो तो उसका वेबसाईड निःशूल्क तैयार किया जाएगा।

एतद्द्वारा सतनामी समाज के लोगों से अनुरोध है कि किसी भी व्यक्ति अथवा संगठन के झांसे में आकर धर्म परिवर्तन न करें, समनामी एवं सतनाम धर्म के लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए सतनामी समाज का प्रत्येक सदस्य हमारे लिए अमूल्य हैं।

एतद्द्वारा सतनामी समाज से अपील है कि वे सतनाम धर्म की संवैधानिक मान्यता एवं अनुसूचित जाति के पैरा-14 से अलग कर सतनामी, सूर्यवंशी एवं रामनामी को अलग सिरियल नंबर में रखने हेतु शासन स्तर पर पत्राचार करें।