सतनाम आरती - Satnam Dharm (सतनाम धर्म)

सतनाम आरती

सतनाम आरती#
(सतनाम धर्म के अनुयायियों द्वारा गाये जाने वाले)




ऐसे आरती देहव हो लखाई
निरखत जोत अधर फहराई

पहले आरती जगमग जोति,
हीरा पदारथ बारे मोती हो l       आरती……..

सोन कर थारीकपूर लागे बाती,
भंव-भंव आरती उतारे बहूं भाती हो l   आरती……..

तीजे आरती त्रिभूवन मोहे,   
रतन सिहांसन गुरूजी  सोहे हो l     आरती……..

चौथे आरती चारो जग पूजा,
आप सही देव और नही दूजा हो l      आरती……..

पांचे आरती जो नर गावे,
चढ के विमान अमरलोक सिधावे हो l   आरती……..

आरती दर्शन के गावे,
लख चौरासी के बंधना छूडावे हो l      आरती……..

साते आरती सतनामी घर आये,
हंसा  उबार अमरलोक पहुंचावे हो l   आरती……..

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हम भारत के नागरिकों के लिए भारत का संविधान समस्त विश्व के सारे धार्मिक पुस्तकों से अधिक पूज्यनीय और नित्य पठनीय है। यह हमारे लिए किसी भी ईश्वर से अधिक शक्ति देने वाला धर्मग्रंथ है - हुलेश्वर जोशी

निःशूल्क वेबसाईड - सतनामी एवं सतनाम धर्म का कोई भी व्यक्ति अपने स्वयं का वेबसाईड तैयार करवाना चाहता हो तो उसका वेबसाईड निःशूल्क तैयार किया जाएगा।

एतद्द्वारा सतनामी समाज के लोगों से अनुरोध है कि किसी भी व्यक्ति अथवा संगठन के झांसे में आकर धर्म परिवर्तन न करें, समनामी एवं सतनाम धर्म के लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए सतनामी समाज का प्रत्येक सदस्य हमारे लिए अमूल्य हैं।

एतद्द्वारा सतनामी समाज से अपील है कि वे सतनाम धर्म की संवैधानिक मान्यता एवं अनुसूचित जाति के पैरा-14 से अलग कर सतनामी, सूर्यवंशी एवं रामनामी को अलग सिरियल नंबर में रखने हेतु शासन स्तर पर पत्राचार करें।