सतनाम धर्म को संवैधानिक मान्यता प्रदान करने बाबत् माननीय राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन - Satnam Dharm (सतनाम धर्म)

सतनाम धर्म को संवैधानिक मान्यता प्रदान करने बाबत् माननीय राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन

सतनाम धर्म को संवैधानिक मान्यता प्रदान करने बाबत् 

माननीय राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन (DRAFT)



प्रति,
माननीय भारत के राष्ट्रपति महोदय
नई दिल्ली

विषय:-         ‘‘सतनाम धर्म’’ को संवैधानिक मान्यता प्रदान करने बाबत् 
द्वारा:- जिलाध्यक्ष, जिला रायपुर, छत्तीसगढ़।


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महोदय,

ज्ञातव्य हो कि छत्तीसगढ़ राज्य के गिरौदपुरी धाम, जिला रायपुर (वर्तमान बलौदाबाजार) में 18 दिसम्बर सन् 1756 को अवतरित परमपूज्यनीय गुरू घासीदास बाबा के लोक कल्याणकारी कार्यों/योगदान के फलस्वरूप तथा जाति-पाति एवं वर्ण व्यवस्था के कारण उत्पन्न भेदभाव/छुआछूत, कथित सवर्णों के लोकदमनकारी गतिविधियों, डोला उठाने की प्रथा (स्थानीय गौटिया के द्वारा नव विवाहिता को 3दिवस केलिए रखैल की भांति रखने एवं दैहिक शोषण करने) को मिटाते हुए मनखे-मनखे एक समान के संदेश देने वाले, गुरूबाबा ने अपने स्वयं के तप एवं प्रताप के बल पर सतनाम धर्म का विधिवत् स्थापना किया एवं सम्पूर्ण मानव जाति के लिए सप्त सिद्धांत/सात मार्ग बताये। जो इसप्रकार है:-
1.सतनाम पर विश्वांस करना।
2.जीव हत्या नही करना। 
3.मांशाहार नही करना।
4.चोरी एवं जुआ से दूर रहना।
5.नशा सेवन नही करना।
6.जाति-पाति, उंच-नीच के प्रपंच में नही पडना।
7.पराय स्त्री को माता-बहन मानना।
(इस संबंध में आपके संज्ञान में यह बात लाया जाना आवश्यक है कि सतनाम धर्म में मूर्तिपुजा निषेध है, ब्राम्हण की पूजा एवं ब्रम्हणों से पूजा नही कराया जाता है।)

परमपूज्यनीय गुरू घासीदास बाबा के प्रभाव से नारलौल से आये (सन् 1672 में औरंगजेब के अत्याचारके खिलाफ सतनामी विद्रोह में पराजित सतनामी संत विशेषतः छत्तीसगढ़ में आ बसे) सतनामी संतो के साथ ही छत्तीसगढ़ के लगभग सभी जाति (ब्राम्हण, राजपूत, बनिया, मरार, तेली, यादव, कुर्मी, गोंड, इत्यादि), बौद्ध व हिन्दू धर्म एवं जो बौद्ध एवं हिन्दू धर्म को ग्रहण नही किये थे ऐसे लोग भी सतनाम धर्म को आत्मसात् कर सतनामी बने। वर्तमान परिवेश में परमपूज्यनीय गुरू घासीदास बाबा के 1 करोड से अधिक अनुयायी हैं, जो आपसे सतनाम धर्म की संवैधानिक मान्यता की आपेक्षा रखते हैं। ज्ञातव्य हो कि गुरू बाबा के जन्मस्थली गिरौदपुरी धाम में सतनामी, सतनाम धर्म एवं सत्य के प्रतीक भव्य जैतखाम का निर्माण छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कराया गया है, जिसकी उंचाई कुतुबमीनार से उंचा है।

छत्तीसगढ़ की सामाजिक व्यवस्था में वर्तमान में एक नवीन पहल की शुरूआत हुई हैं, जिसके बारे में आपको जानकर अत्यंत पीडा होगी। क्योंकि कतिपय हिन्दू संस्थाओं एवं लोगों द्वारा आयोजित निजी/सार्वजनिक कार्यक्रम में दो पृथक-पृथक भोज का व्यवस्था किया जाता है। एक में हिन्दू के सभी जाति के लोग और दूसरे भोज में केवल सतनामी जाति के लोग। छत्तीसगढ़ में सतनामी के लिए अलग मोहल्ला होता है किसी भी धार्मिक/सामाजिक एवं राजनैतिक योगदान के लिए सतनामी समाज के लोगों के लिए सतनामी संबोधन से संबोधित किया जाता है, जबकि शेष के लिए हिन्दू संबोधन होते हैं। ब्रिटीश काल की बात कहें तो सतनामी समाज की मांग के आधार पर अंगे्रज सरकार ने दिनांक 07/10/1926 को आदेश पारित किया और सतनामी जाति के लोगों को केवल सतनामी से संबोधित करने का आदेश प्रसारित किया। षडयन्त्र के कारण सतनामी समाज तीन भाग/जाति (सतनामी, सूर्यवंशी सतनामी एवं रामनामी सतनामी) में बंट गये जिसके कारण आदिनांक तक सतनाम धर्म की संवैधानिक मान्यता के लिए उचित प्रयास संभव नही हो पाया है। सतनामी समाज के लोग अत्यंत स्वाभिमानी होते हैं, जिसके कारण किसी भी मानव को जाति-पाति के आधार पर उंचनीच नही मानते, जबकि मौजूदा हिन्दू धर्म ऐसे ही भावनाओं, रूढीवादी परम्पराओं, छुआ-छूत एवं उंच-नीच के भावनाओं से प्रेरित है। जिसके कारण सतनामी, स्वयं को हिन्दू कहलाने में असहज महसूस करते है और हिन्दू संबोधन का निंदा करते हैं।

हिन्दू धर्म से पृथक सतनाम धर्म की संवैधानिक मान्यता मांगने का दूसरा बडा कारण अत्यंत दूर्भाग्यजनक है, जिसका आपको संबोधित करते हुए बयान करना अनुचित होगा। इस संबंध में आपको अपने पीडा से अवगत कराते हुए केवल यही याचना करना चाहते हैं कि हम सतनामी समाज के लोग, दलित, शोशित, शुद्र अथवा नीच जाति के लोग कहलाना नही चाहते ऐसे संबोधन से हमारी धार्मिक आस्था चोटिल होती है और हमारा हृदय दर्द से कराह उठता है।

अतएव हम सतनामी समाज की ओर से एतद्द्वारा हिन्दू धर्म से पृथक सतनाम धर्म की संवैधानिक मान्यता हेतु आपसे आग्रह करते हैं।

स्थान - रायपुर, छत्तीसगढ़
दिनांक 19/09/2017

Guru GhasiDas Baba (Image)








(हुलेश्वर जोशी सतनामी)
कार्यकारिणी सदस्य,
सतनामी एवं सतनाम धर्म
विकास परिषद, छत्तीसगढ़, रायपुर




प्रतिलिपि: कृपया आवश्यक कार्यवाही/सूचनार्थ/अवलोकनार्थ।
1.माननीय प्रधानमंत्री महोदय, भारत सरकार, नई दिल्ली।
2.माननीय राज्यपाल महोदय, छत्तीसगढ़ शासन, रायपुर।
3.माननीय विधानसभा अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ विधानसभा, रायपुर।
4.सतनामी एवं सतनाम धर्म के सभी अनुयायी की ओर: शोशल मिडीया के माध्यम से कृपया आवश्यक संशोधन हेतु प्रेषित है।
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हम भारत के नागरिकों के लिए भारत का संविधान समस्त विश्व के सारे धार्मिक पुस्तकों से अधिक पूज्यनीय और नित्य पठनीय है। यह हमारे लिए किसी भी ईश्वर से अधिक शक्ति देने वाला धर्मग्रंथ है - हुलेश्वर जोशी

निःशूल्क वेबसाईड - सतनामी एवं सतनाम धर्म का कोई भी व्यक्ति अपने स्वयं का वेबसाईड तैयार करवाना चाहता हो तो उसका वेबसाईड निःशूल्क तैयार किया जाएगा।

एतद्द्वारा सतनामी समाज के लोगों से अनुरोध है कि किसी भी व्यक्ति अथवा संगठन के झांसे में आकर धर्म परिवर्तन न करें, समनामी एवं सतनाम धर्म के लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए सतनामी समाज का प्रत्येक सदस्य हमारे लिए अमूल्य हैं।

एतद्द्वारा सतनामी समाज से अपील है कि वे सतनाम धर्म की संवैधानिक मान्यता एवं अनुसूचित जाति के पैरा-14 से अलग कर सतनामी, सूर्यवंशी एवं रामनामी को अलग सिरियल नंबर में रखने हेतु शासन स्तर पर पत्राचार करें।