ग्राम विकास योजना -2015
यह कार्यक्रम
पूज्यनीय श्री त्रिभूवन जोशी एवं माता श्यामा देवी जोशी के विचारों पर आधारित है तथा श्री हुलेश्वर जोशी द्वारा वर्ष-2009 में तैयार की गई है l
ग्राम विकास कार्यक्रम के
संबंध में विचार
मै चाहता हूं कि हमारा गांव सभी तरफ से सम्पन्न और आत्मनिर्भर हो,
गांव में सभी आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन हो और गांव उत्पादन के क्षेत्र में समग्र देश
में सर्वोच्च स्थान को प्राप्त करें l उत्पादन कार्य में गांव के दैनिक उपयोग को विशेष
ध्यान दिया जावे l जैसे- चांवल, दाल, तेल, कपडे, शब्जी, फल, दुध और दुध से बने पदार्थ
परन्तु ध्यान रहे गांव में मांश और शराब पूर्णतया प्रतिबंधित हो l पूज्यनीय श्री त्रिभूवन जोशी
मै इस कार्यक्रम के बारे में कहूंगी कि जो भी गांव इस कार्यक्रम को
विकास के लिए अपनायेगा वह अवश्य ही ख्याति को प्राप्त करेगा, उस संबंधित गांव के नागरिक समस्त क्षेत्रों में नियुक्त किये
जायेंगे, स्वरोजगार प्राप्त करेंगे और बेहतर जीवन को प्राप्त करेंगे
l माता श्यामा देवी
शाकाहार मनुष्य और प्राणी
दोनो ही दीर्घ और सुखमय जीवन को प्राप्त करता है, इसलिए हमारे पूर्वज सदा ही शाकाहार और आयुर्वेद
का पालन करता आ रहा है अतएव मै भावी पीढी से आग्रह करूंगा कि वे हमारे इस परम्परा
को आगे बढायें l आज देखने में आता है कि लोग लगातार सर्वाहार बनते जा रहे हैं परन्तु
निकटतम भविष्य में वे पुन: निरोगी और सुखमय जीवन की आपेक्षा रखते हुए शाकाहार, आयुर्वेद
और योग की ओर अग्रसर होगा l लाला राम जोशी
मै यह निश्चित तौर पर नही कहूंगा या अभिमान नही करूंगा कि मै महापुरूष
या ज्ञानी होउंगा अथवा हूं परन्तु
इस कार्यक्रम के परिपेक्ष्य में अवश्य ही कहूंगा कि यह मेरे ज्ञान, अनुभव और गुरूजनों
से प्राप्त शिक्षा के आधार पर जितनी मात्रा में धर्म, जीवन, स्वास्थ्य, परम्परा, योग,
आयुर्वेद, शिक्षा और शांति को जानता हूं अपने जानकारी के आधार पर यह प्रमाणित
पाता हूं कि यह ग्राम विकास कार्यक्रम अवश्य ही प्रभावकारी है l श्री हुलेश्वर जोशी
कार्यक्रम का उददेश्य
ग्राम को पूर्णरूपेण संसाधन सम्पन्न और सक्षम ग्राम बनाना और इस हेतु आवश्यक समस्त व्यवस्थाएं
सुनिश्चित करना इस कार्यक्रम का मूल उददेश्य है l यह कार्यक्रम ग्राम
के समस्त नागरिकों के स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, सुख, सम्मान, समानता और उत्तम जीवन
को आधार बनाकर तैयार किया गया है l ताकि समस्त नागरिकों का शैक्षणिक आर्थिक व सामाजिक
उत्थान हो सके l इसके लिए आवश्यक है कि :- ग्राम के जनसंख्या एवं स्थानीय बाजारों व
निकटतम शहर में मांग की पूर्ति के आधार पर समस्त प्रकार के उत्पादन कार्य करें, जिससे
गांव आत्मनिर्भर हो सके l
ग्राम प्रबंधन परिषद :- इस कार्यक्रम के संचालन हेतु प्रत्येक गांव में ग्राम प्रबंधन परिषद
की स्थापना की जावे जो योजनानुसार ग्रामीणों को आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करेंगे l
जो गांव में प्राथमिक उपचार केन्द्र, हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम स्कूल, कम्प्यूटर
सेंटर, कोचिंग और प्रतियोगी परीक्षा मार्गदर्शन केन्द्र व सुपर बाजार सेड का व्यवस्था
करायेगा l इसके साथ ही:-
दुग्ध उत्पादन- ग्राम में कम से कम 20-30 गरीब परिवार गौ/भैस पालन करें तथा उसे निकटतम
शहर/बाजार में दुग्ध, घी, खोआ अथवा पनीर के रूप में उसका खपत करें इस हेतु ग्राम में
01 दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थ से निर्मित वस्तुओं का संग्रहण केन्द्र (डेयरी) भी स्थापित
किया जावे l
शब्जी उत्पादन:- जिसप्रकार से ग्राम में दुग्ध उत्पादन के लिए 20-30 परिवार एक जूट होकर
कार्य करते हैं उसीप्रकार स्थानीय मार्केट एवं निकटतम शहर में मांग के अनुसार अलग-अलग
प्रकार के शब्जीयों का उत्पादन कम-से-कम 30 हेक्टेयर भूमि में किया जावें l इसहेतु
व्यवसाय में लगभग 40-50 परिवार को स्वरोजगार की प्राप्ति होगी l
इसहेतु स्थाई आमदनी के लिए मेडों अथवा खेतों में बारमासी मुनगा और कटहल
लगाना भी उत्तम होगा l
ढलान जमीन पर जीमी कन्द, कोचई, अदरक, और हल्दी का अच्छा उत्पादन भारी
लाभ के साथ किया जा सकता है l
फल उत्पादन :- फल उत्पादन के अंतर्गत केला और पपीता का आसानी से उत्पादन किया जा सकता
है, जिसमें प्रति एकड प्रति वर्ष 2 से 3 लाख रूपये की आमदनी हो सकती है l
इसके साथ ही नीबू, अमरूद, आम इत्यादि विशेषत: बारह मासी आम रोपित किया
जावे जिससे अच्छी खासी नियमित आमदनी मिलती रहे l यह पेड रोपण के लगभग 3 से 4 वर्ष में
आपको फल देंगे l
आयुर्वेदिक औषधियों का प्लान्ट
:- उपरोक्त खेती के साथ अथवा अतिरिक्त आयुर्वेदिक औषधी रोपित करना सबसे
अधिक लाभकारी और आसान कार्य है l औषधी खेती से कम-से-कम प्रति एकड प्रति वर्ष 5 से
6 लाख रूपये की आमदनी हो सकती है l
लघु उदयोग :- लघु उदयोग के अंतर्गत
अगरबत्ती, साबुन, निरमा, मसाले, धनिया पावडर, हल्दी पावडर, मिर्च पावडर, गेहु आटा,
बेसन, दाल, सुगंधित चांवल इत्यादि को पैकिंग कर स्वरोजगार स्थापित की जा सकती है l
निम्नस्तर व्यवसाय :- इसके अंतर्गत श्रेष्ण है कि आप अपने खेत का गहरीकरण कर मछली उत्पादन
करें, ऐसा नही करने की स्थिति में गांव से बाहर ऐसे स्थान पर जहां से ग्रामीण पर्यावरण एवं स्वास्थ्य प्रभावित न हो में
मुर्गी, कुक्कट, बकरी, खरगोस एवं सुंअर पालन किया जा सकता है l (ध्यान रहे यह प्रस्ताव
आचार्य हुलेश्वर जोशी द्वारा अपने स्वविचार से लाभ को ध्यान में रखकर रखी जा रही है,
परन्तु ये प्रस्ताव माता श्यामादेवी और पूज्यनीय श्री त्रिभूवन जोशी के विचारों के खिलाफ है
l)
शैक्षणिक स्तर में सुधार :- शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए आवश्यक है कि हम ग्राम के ही विघालय
में अध्यापन कार्य कर रहे शिक्षकगण के प्रोत्साहन के लिए उन्हें नियमित रूप से सम्मानित
करें l ग्रामीणजन उसके सुविधाओं और सम्मान की विशेष व्यवस्था करे l ग्राम प्रबंधन परिषद
यह सुनिश्चित करें कि शिक्षकगण को नियमित रूप से विशेष ग्राम भत्ता जो कम-से-कम 1000 राशि अथवा उससे अधिक राशि के बराबर
का उपहार प्रदान करे l
साथ ही यह सुनिश्चित करें कि यद कोई शिक्षक शैक्षणिक कार्य में लापरवाही
बरतता है तो उन्हे समझाईस दे और आवश्यक होने पर प्रशासन से उन्हे हटाने की मांग करे
और मांग की पूर्ति तक के लिए ग्राम अथवा आसपास के योग्य व्यक्ति को शिक्षक के रूप में
नियुक्त कर शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करेl ग्राम के स्कूल में शिक्षकों की कमी
होने पर भी वैकल्पिक रूप से शिक्षक की व्यवस्था सुनिश्चित किया जावे l
स्कूल में प्रत्येक रविवार को अलग से सांस्क्रितिक, मनोरंजनात्मक एवं
प्रेरणात्मक कार्यक्रम आयोजित किये जायें जिसमें आसपास के विदवानों और सफल व्यक्ति
से परिचय कराते हुए महान व्यक्तियों के सफलता के बारे विस्तत जानकारी दी जावे तथा मनखे
मनखे एक समान के सिद्धान्त का प्रचार कर छात्रगण से पालन के लिए विशेष आग्रह के साथ
सीख दी जावेl
अगर हम अमीर अपने गांव के स्कूल में पढाई नही होता कहते हुए गांव से
25 किमी दूर के विघालय में 1000-1500 प्रतिमाह फीस, 500-1000 वाहन शूल्क इत्यादि देने
को तैयार हैं तो क्यो न उसी फीस के 1/10 या 1/20 भाग से शासकीय स्कूल के शिक्षक को
ही ईनाम देकर शैक्षणिक स्तर में सुधार क्यों नही करतेl शिक्षकों का मनोबल क्यों नही
बढाते l आप सभी भाईयों से आग्रह है कि आप ऐसा करने और शिक्षकों को सम्मानित करने के
लिए आगे आएं l
इसीप्रकार गांव से दूर हम लगभग 100-200 किमी दूर मोटी फीस के साथ अपने
बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए भेजते है तो क्या हम ऐसा नही कर सकते
कि हम इन्ही फीस, मकान किराया, भोजन व्यवस्था की रकम से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी
हेतु 01 शिक्षक नियुक्त करके गांव में ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु कोचिंग
संस्थान की स्थापना करायें l यदि हम ऐसा करते हैं तो 01 अभ्यार्थी के फीस की रकम के
बराबर रकम में अवश्य ही गांव के प्रत्येक शिक्षित नवयुवकों के पास शासकीय और बेहतर
नौकरी जल्द ही होगी l
इसकार्यक्रम के संचालन पूर्व किसी
भी ग्राम में मीटिंग के लिए मुझसे
मोबाईल नंबर 9406003006 अथवा 9826164156 में सम्पर्क करें अथवा मिलें l