जिस प्रकार रंगबिरंगे गुब्बारे दिखाकर, भुखे बच्चों के मन काे विचलित कर दिया जाता है ठीक उसीप्रकार कुछ xxxxxxx धर्म के प्रचारकगण सतनामी एवं सतनाम धर्म के अनुयायियों को महान राजनितिक विचारक के नाम व उनके योगदान को गिनाते हुए धर्म परिवर्तन के लिए उकसा रहे हैं जो पूर्णतया निंदनीय विषय है l
सतनामी एवं सतनाम धर्म के अनुयायीगण को एक छोटा सा उदाहरण प्रस्तूत करता हूं, ताकि धर्म परिवर्तन में विराम लगाया जा सके :-
विभिन्न धर्माें के धर्मग्रंथों में लेख है कि गुरू परमेश्वर (परमात्मा/ईश्वर) से भी अत्यधिक पूज्यनीय है l हमें प्राथमिक शिक्षा के दौरान अध्ययन किया हूआ कविता स्मरण हो रहा है "गुरू गोविन्द्र दोउ खडे काके, लागुं पॉव, बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताये" तात्पर्य ईश्वर स्वयं यह स्वीकारते हैं कि धर्मगुरू/गुरू परमेश्वर से भी श्रेष्ठ और पूज्यनीय होता है l
आप इस ज्ञान के आधार पर सुनिश्चित कर सकते है कि धर्मगुरू/गुरू जो परमेश्वर से भी महान और अत्धिक पूज्यनीय है क्या राजनितिज्ञ / ज्ञानी विचारक अथवा समाजसेवक उनसे भी महान हो सकते है ?
कदापि नही !
यदि नही तो क्या यह तर्क मुर्खतापूर्ण है कि हम राजनैतिक विचारक को धर्मगुरू/गुरू से महान या उच्च समझें l
मै धर्म परिवर्तन के विषय में कहना चाहती हूं कि जो धर्म परिवर्तन कर सकता है वह किसी भी स्थिति में विश्वास के योग्य नही हो सकता, जो अपने मां बाप और भाई बहन के रिस्ते नाते को तोडकर अन्य धर्म को अपना सकता है वह विश्वास के काबिल हो ही नही सकता l
श्रीमती विधि हुलेश्वर जोशी