परमपूज्य गुरूघासी दास बाबा जयंति मनाने के संबंध में सुझाव
दिसंबर महीने के 18 तारीख को प्रतिवर्ष परमपूज्यनीय गुरु घासीदास बाबा की जयंती मनाया जाना है। सतनामी समाज द्वारा बाबा जी की जयंती प्रायः 18 से 31 दिसम्बर तक मनाया जाता है। इस संबंध में कुछ विशेष सुझाव मैं संत समाज से share करना चाहता हूँ :-
1 समाज द्वारा आयोजित जयंती कार्यक्रम में क्रमशः पदयात्रा, चौकपूजा, ध्वजारोहण, पंथी नृत्य, भंडारा व प्रसाद वितरण व रात्रिकाल में सतनाम भजन/सतनाम प्रवचन अथवा गुरु बाबा के जीवन पर आधारित *लीला ही कराया जावे। किसी भी प्रकार से नाचा - गम्मत या सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से सतनामी संस्कृति को भ्रष्ट न किया जावे न ही अनैतिक नृत्य व गान कराया जावे। ऐसा करना पूर्णतः निंदनीय व गुरु बाबा का अपमान है।*
2 समय समय पर साहू, यादव, मरार व गोंड़ समाज के मित्रों द्वारा आपत्ति दर्ज कराया गया है कि सतनामी संतों द्वारा बाबा जी पर एकाधिकार जमाते हुए हमें बाबाजी के जयंती में आमंत्रित नही किया जाता है न जयंती कराने के सम्बन्ध में आयोजित बैठक में बुलाया जाता है और न तो जयंती कार्यक्रम कराने पर योगदान (चंदा, इत्यादि) लिया जाता। बाबा जी तो लोककल्याणकारी हैं उनकी पूजा समस्त मानव समाज के द्वारा की जाती है, इसलिए कुछ लोग बिना पूछे ही जयंती कार्यक्रम में भाग लेकर बाबा जी का पूजन करते हैं तो कुछ भयवश दूर से ही बाबा जी को प्रणाम कर लेते हैं।
इसलिए संत समाज से निवेदन है कि बाबा जी के जयंती पर कमसेकम उपरोक्त समाज को जरूर शामिल करें। बाबाजी के पूजा करने का सबको अधिकार है, न कि केवल सतनामी को। *यदि हम नेता, मंत्री व कुछ प्रभावशाली लोगो को आमंत्रित करते हैं तो उनके समाज के सभी लोगो को क्यों नही? मनखे मनखे एक समान*
ऐसे बुद्धिस्टों व क्रिश्च्यानो को जो सतनामी समाज त्याग दिए हों, उन्हें सतनामी समाज के कार्यक्रम के दौरान माइक न दिया जावे। वे सतनामियों को भड़काकर धर्मपरिवर्तन करा सकते हैं या दीगर समाज से लड़ा सकते हैं।
*हुलेश्वर जोशी सतनामी*
कार्यकारिणी सदस्य
सतनामी एवम सतनाम धर्म
विकास परिषद्, रायपुर (छत्तीसगढ़)
9406003006