सतनामी एवं सतनाम धर्म का पाम्प्लेट
जय सतनाम जय सतनाम धर्म सतनाम को मानो
सतनाम धर्म के अनुयायी केवल परमपूज्यनीय गुरू घासीदासबाबा के बताए सदमार्ग पर चलते हैं और बनाये नियमों का ही पालन करते हैं। सतनाम धर्म का अनुयायी वह है जिसके आचरण में सत्य, अहिंसा, परोपकार, शिक्षा, प्रेम, मार्गदर्शन, दया और क्षमा का समावेश हो, जो समग्र ब्रम्हाण्ड के जीवधारियों के लिए उक्त भाव रखता है, आचरण करता है तथा मूलतः मानव-मानव एक समान के सिद्धान्त का पालन करता है।
एतद्द्वारा सतनामी संतों, माताओं, और बहनों से सतनामी एवं सतनाम धर्म के शैक्षणिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक विकास हेतु निम्नानुसार निवेदन है:-
1.परमपुज्यनीय गुरू घासीदास बाबा के बताये मार्ग पर चलें, मूर्तिपूजा छोडें, सतनाम को मानें, मांस-मदिरा का त्याग करें, परस्त्री को माता-बहन मानें, सदैव सत्य का साथ दें।
2.ज्ञातव्य हो कि, सतनामी- सतनाम धर्म के अनुयायी हैं, सतनामी को हिन्दू कहना, बताना अथवा मानना सरासर झूठ है। ज्ञात हो सतनामी समाज सतनाम धर्म की संवैधानिक मान्यता के लिए प्रयासरत् है।
3.छात्र-छात्राओं को वैज्ञानिक, डाॅक्टर, पाॅयलट, आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, इंजिनियर, प्रोफेसर, जज, अधिवक्ता इत्यादि बनने के लिए प्रेरित करें। इस संबंध में समाज के नौकरीपेशा लोगों से मार्गदर्शन करने हेतु विशेष अनुरोध है।
4.समाज के 10वीं उत्तीर्ण (शिक्षा में कमजोर एवं शारीरिक रूप से सक्षम) छात्र-छात्राओं को जिला पुलिस बल, छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के पुलिस, केन्द्रीय सशस्त्र बलों (सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी, आईटीबीपी) एवं तीनों सेनाओं (थल सेना, जल सेना, वायुसेना) में भर्ती हेतु प्रेरित करें।
5.सतनामी कृषक परम्परागत कृषि के स्थान पर उन्नत कृषि अपनाएं। अपने खेत में फलदार वृक्ष (अनार, आम, मुनगा, केला, अमरूद, पपीता, नीबु, कटहल इत्यादि), मसाले (तेज पत्ता, दालचीनी, मीठानीम, इत्यादि), इमारती वृक्ष एवं सब्जी इत्यादि लगाएं।
6.सतनामी समाज के बेरोजगार युवक स्वयं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करें तथा साथ में समाज के छात्र-छात्राओं को निःशूल्क कोचिंग कराएं। नौकरीपेशा लोग, ऐसे बच्चों को पुस्तक इत्यादि खरीदकर दें।
7.सतनामी समाज के द्वारा मृत्युभोज की अनिवार्यता समाप्त कर दिया गया है। साथ ही समाज से आग्रह है- विवाह में फिजूलखर्ची पर रोक लगाएं, तथा गिरौदपुरी अथवा गांव के ही जैतखाम में विवाह कराएं।
8.बेरोजगार युवक-युवतियों के लिए केन्द्र शासन एवं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बिना शूल्क के रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इस संबंध में DDU-GKY (Deen Dayal Upadhyaya Grameen KaushalyaYojana), NSDC (National Skill Development Corporation) and CSSDA (Chhattisgarh State Skill Development Authority) के तहत् सुविधा का लाभ उठाएं।
9.सतनामी अपने घर में गुरूगद्दी स्थापित करे और आंगन में निशाना (छोटे आकार के जैतखाम) अथवा छत में सफेद झंडा लगाएं।
हुलेश्वर जोशी सतनामी
सदस्य, सतनामी एवं
सतनाम धर्म विकास परिषद
094060-03006
हुलेश्वर जोशी सतनामी
सदस्य, सतनामी एवं
सतनाम धर्म विकास परिषद
सतनाम धर्म विकास परिषद
094060-03006
हलेश्वर भाई मेरा नाम विनोद डहरिया है, और मैं कोरबा जिला में रहता
जवाब देंहटाएंऔर आप जिस प्रकार का लेख लिख रहे हैं मैं आपके विचारों से सहमत नहीं हुं।
आपका लेख परंपरा गत तरिके से लिखा गया है।
समस्या यहां है। कि हम इसाई, इस्लाम और हिन्दू धर्म के विचारों से सीखते नहीं है।
आप कलेशिया , में जाये , मंदिर में जाते,और मस्जिद में जाते तो वहां आपसे धर्म को मानने के लिए गिड़गिड़ाते नहीं है।
बल्कि धर्म को थोपते हैं।
आप अपने लेखों में आग्रह करेंगे कोई नहीं सुनेगा।
आपको धर्म थोपना पड़ेगा और बताना पड़ेगा की सतनामी के जीवन में सिर्फ़ एक ही लक्ष्य होना चाहिए गुरु घासीदास के लिए जीना और उसी के लिए मरना इसके सिवा कुछ नहीं होना चाहिए