जनहित याचिका क्या है, क्यों और कैसे दायर किया जाता है ? - Satnam Dharm (सतनाम धर्म)

रविवार, 8 अप्रैल 2018

जनहित याचिका क्या है, क्यों और कैसे दायर किया जाता है ?

जनहित याचिका क्या  है, क्यों और  कैसे  दायर  किया  जाता है ?


जनहित याचिका (PIL - Public Interest Litigation) वह याचिका है, जो कि आम नागरिकों के सामूहिक हितों की रक्षा के लिए न्यायालय में दायर की जाती है। कोई भी व्यक्ति जनहित (प्राइवेट इंट्रेस्ट लिटिगेशन) या सार्वजनिक महत्व के किसी मामले के विरूद्ध, जिसमें किसी वर्ग या समुदाय के हित या उनके मौलिक अधिकार प्रभावित हुए हों, जनहित याचिका (पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन) के जरिए न्यायालय की शरण ले सकता है।

विदित हो कि 1981 में अखिल भारतीय शोषित कर्मचारी संघ (रेलवे) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के केस में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी. आर. कृष्णाय्यर ने अपने फैसले में कहा था कि कोई गैर-रजिस्टर्ड असोसिएशन ही संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत रिट दायर कर सकता है। इसके बाद अपने एक जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ‘‘आम लोगों के अधिकारों को नकारा नहीं जा सकता।’’ जिसे देखते हुए अगर कोई शख्स हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर करना चाहे तो वह अधिवक्ता के माध्यम से अथवा लेटर लिखकर भी समस्या के बारे में सूचित कर सकता है जिसपर अदालत चाहे तो लेटर को जनहित याचिका में बदल सकती है। 

पीआईएल दो प्रकार के होते हैं, एक प्राइवेट इंट्रेस्ट लिटिगेशन और दूसरा पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन। प्राइवेट इंट्रेस्ट लिटिगेशन में पीड़ित खुद याचिका दायर करता है। इसके लिए उसे संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत सुप्रीम कोर्ट और अनुच्छेद-226 के तहत हाई कोर्ट में याचिका दायर करने का अधिकार है। याचिकाकर्ता को अदालत को बताना होता है कि उसके मूल अधिकार का कैसे उल्लंघन हो रहा है। पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन (जनहित याचिका) दायर करने के लिए याचिकाकर्ता को यह बताना होगा कि कैसे आम लोगों के अधिकारों का हनन हो रहा है? कोई भी व्यक्ति जो सामाजिक हितों के बारे में सोच रखता हो, वह जनहित याचिका दायर कर सकता है। इसके लिये यह जरूरी नहीं कि उसका व्यक्तिगत हित भी सम्मिलित हो। 

जनहित याचिका को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के अन्तर्गत उच्चतम न्यायालय के समक्ष और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अन्तर्गत उच्च न्यायालय के समक्ष दायर की जा सकती है। जनहित याचिका दायर करने के लिए यह जरूरी है, कि लोगों के सामूहिक हितों जैसे सरकार के कोई फैसले या योजना, जिसका बुरा असर लोगों पर पड़ा हो। किसी एक व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होने पर भी जनहित याचिका दायर की जा सकती है। जनहित याचिका केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, नगर पालिका परिषद और किसी भी सरकारी विभाग के विरूद्ध दायर की जा सकती है। ज्ञातव्य हो कि यह याचिका किसी निजी पक्ष के विरूद्ध दायर नहीं की जा सकती। लेकिन अगर किसी निजी पक्ष या कम्पनी के कारण जनहितों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा हो, तो उस पक्ष या कम्पनी को सरकार के साथ प्रतिवादी के रूप में सम्मिलित किया जा सकता है। 


संविधान में मिले मूल अधिकार के उल्लंघन के मामले में दायर की जाने वाली याचिका में सरकार को प्रतिवादी बनाया जाता है क्योंकि मूल अधिकार की रक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती है। याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत सरकार को नोटिस जारी करती है और तब सुनवाई शुरू होती है।

जनहित याचिका ठीक उसी प्रकार से दायर की जाती है, जिस प्रकार से रिट (आदेश) याचिका दायर की जाती है। उच्चतम न्यायालय के समक्ष जनहित याचिका दायर करने के लिये याचिका की पाँच छाया प्रति दाखिल करनी होती हैं। जिस संबंध में प्रतिवादी को याचिका की छाया प्रति सूचना आदेश के पारित होने के बाद ही दी जाती है।

प्रश्न: क्या साधारण पत्र के जरिये भी जनहित याचिका दायर की जा सकती है?
उत्तर: हां, जनहित याचिका खत या पत्र के द्वारा भी दायर की जा सकती है। पत्र के माध्यम से जनहित याचिका दायर करने हेतु माननीय चीफ जस्टिस महोदय, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, तिलक मार्ग, नई दिल्ली- 110001 अथवा छत्तीसगढ़ राज्य के निवासी राज्य क्षेत्र में जनहित के लिए माननीय चीफ जस्टिस महोदय, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर को प्रकरण के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्य एवं तथ्य के तर्क में प्रमाणित दस्तावेज की काॅपी संलग्न कर भेज सकते हैं।


प्रश्न: क्या जनहित याचिका को दायर करने व उसकी सुनवाई के लिये वकील आवश्यक है?
उत्तर: जनहित याचिका के लिये वकील होना जरूरी है परन्तु राष्ट्रीय/राज्य या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अन्तर्गत सरकार के द्वारा वकील की सेवाएं प्राप्त कराए जाने का भी प्रावधान है।

जनहित याचिका से संबंधित उच्चतम न्यायालय के कुछ महत्वपूर्ण निर्णय:
ऽ  रूरल लिटिगेशन एण्ड इंटाइटलमेंट केन्द्र बनाम् उत्तर प्रदेश राज्य, और रामशरण बनाम भारत संघ में उच्चतम न्यायालय के कहा कि जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान न्यायालय को प्रक्रिया से संबन्धित औपचारिकताओं में नहीं पड़ना चाहिए।
ऽ  शीला बनाम भारत संघ में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जनहित याचिका को एक बार दायर करने के बाद वापस नहीं लिया जा सकता।

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