सतनामी संस्कृति के खिलाफ है होलिका दहन - गुरु घासीदास के जीवन दर्शन पर आधारित
गुरु घासीदास बाबा जी ने कहा है कि नारी का सम्मान करो, पराय स्त्री को माता और बहन मानों। गुरु घासीदास बाबा जी ने कहा है कि जीव हत्या और हिंसा मत करो, हिंसा को बढ़ावा मत दो, मांसाहार मत करो, मदिरा का सेवन मत करो।
इसके बावजूद हम उत्सव के नाम हम हरे भरे पेड़ काटकर पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं तो यह अनुचित और गुरु घासीदास बाबा जी के जीवन दर्शन के प्रतिकूल है। हमारा मानव संस्कृति सदैव से प्रकृति और कृषि पर निर्भर रहा है इसलिए गर्मी के दिनों में होने वाले आगजनी से बचने के लिए हमारे पूर्वजों ने जलाना शुरू किया था। नारी का मतलब माता, बहन, बेटी और बहु जिसे गुरु घासीदास बाबा जी ने माता या बहन मानने का सलाह दिया है। एक नारी हमारी माता, बहन, बेटी, बहू या पत्नी है जिनके बिना श्रृष्टि नहीं चल सकती, जिनके बिना हमारा जन्म और जीवन दोनों ही संभव नहीं है। उसी स्त्री को जिसे नारायणी माना जाता है, उसी नारी को जिसे देवी कहा जाता है, उस नारी को जिसे भगवती कहा जाता है यदि हम पुतला दहन करते है तो हमारे लिए छत्तीसगढ़ी का वह कहावत "जेन थाली म खाए ओहि म छेद करे" या "खाए पतरी म छेद करईया" फिट बैठता है।
यदि उत्सव के नाम पर, अपने पेट भरने के लिए हम पशु पक्षियों के हत्या को प्रोत्साहित करें या स्वयं हत्या करें तो यह गलत है क्योंकि उस पशु पक्षी का भी तो अपना परिवार होता है। जब तक भोजन के लिए हमारे पास बेहतर विकल्प है हम पशु पक्षी का हत्या क्यों करें? विशेषकर तब जब हमारे गुरु घासीदास बाबा जी ने जीव हत्या और मांसाहार नहीं करने का सलाह दिया है। मदिरा पान से हमारा मानसिक संतुलन खो जाता है, मदिरा पान से होने वाले फिजूल खर्च हमारे बेहतर जीवन निर्वहन के प्रत्याशा को प्रभावित करता है इसीलिए गुरु घासीदास बाबा जी ने मदिरा पान करने से मना किया है इसके बावजूद हम मदिरा पान करें तो क्या हम गुरु घासीदास बाबा जी के अनुयाई होने का अधिकार रखते हैं?
होली त्योहार के नाम पर हममें से अधिकांश लोग (१) फूहड़ता करेंगे, (२) नारी का अपमान करेंगे, (३) पशु पक्षी का हत्या करेंगे, (४) मांसाहार करेंगे, (५) मदिरापान करेंगे, (६) संभव है लड़ाई झगड़ा करेंगे अर्थात हिंसा करेंगे, और (७) समाज में आपसी रिश्तों को खराब करेंगे। इसके बावजूद यदि आपको ऐसा लगता है कि होली रंगों का त्योहार है तो जरूर मनाएं, इसके बावजूद आपको लगता है कि होलिका बुरी औरत थी जिन्होंने भक्त प्रहलाद को जलाने का प्रयास किया था तो होलिका दहन जरूर करें, मगर अपने भी गिरेबान को झांककर देखो क्या आप कभी किसी के लिए दुर्भावना नहीं रखते? क्या आप कभी जीव हत्या नहीं किए? क्या आप कभी भ्रूण हत्या के पक्षधर नहीं रहे? कहानी के अनुसार होलिका को उसके किए की सजा मिल गई, मगर अपने भीतर के होलिका का क्या? जो रोज किसी व्यक्ति के हत्या का विचार रखता है, कभी भी पशु पक्षी का हत्या करके या करवाके उसे भोजन बना लेता है।
आपसे अनुरोध है इसके बावजूद यदि आपको होलिका दहन करना है तो निःसंदेह करें, केवल इतना ख्याल रखना होलिका के नाम पर जीवित वृक्ष को कभी मत काटना इसके बजाय सूखे घांस फुस और पुराने अनुपयोगी फर्नीचर अथवा छत्तीसगढ़ राज्य के माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा प्रस्तुत विकल्प गोबर से बने कंडे अथवा गोबर से बने लकड़ी को जलाना ही जलाना।
नोट:
यह लेख गुरु घासीदास बाबा जी के जीवन दर्शन पर आधारित है। लेखक का उद्देश्य किसी व्यक्ति अथवा समाज के आस्था को आघात पहुंचाने का नहीं है, फिर भी लेखक पूर्व क्षमा प्रार्थी है।
बहुत बढ़िया लेख सर जी
जवाब देंहटाएंBahut sunder jankari diye sir , Jay satnam Jay samvidhan 👍👍👍🇮🇳🇮🇳🤍🤍🙏
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