चक्रवाय धाम - Satnam Dharm (सतनाम धर्म)

मंगलवार, 26 अगस्त 2014

चक्रवाय धाम

चक्रवाय धाम


परमपुज्यनीय गुरूघासीदास द्वारा स्थापित सतनाम धर्म के अन्तर्गत श्री डेरहू प्रसाद घृतलहरे द्वारा ग्राम चक्रवाय में अलौकिक और अद्भुत गुरू घासीदास बाबा जी का मंदिर निर्माण कराया गया हैं जहाँ प्रतिवर्ष दिसंबर माह गुरू घासीदास जयंती पर्व के अंत में १-२-३ जनवरी को सामाजिक भब्य मेला का आयोजन होता है। इस भव्य मंदिर के नाम से कुछ लोग इसे चक्रवाय धाम के नाम से जानने लगे है, जो सतनामी समाज के लिए सौभाग्य की बात है l

इस मंदिर में प्रवेश करने से भक्तजनों की चाहे वह सतनाम धर्म की अनुयायी हो अथवा न हो कि समस्त वैध मनोकामनाएं पुरी होती है, अवैध और पापकर्म की मनोकामनाओं से परिपूर्ण भक्तजन मनोकामनापूर्ति की आपेक्षा न रखें, क्यों कि ऐसा संभव नही होता, सतनाम धर्म के अन्तर्गत अवैध एवं पापकर्म से प्रेरित मनोकामनाओं की कोई स्थान नही है, ऐसे कर्म करने वाले व्यक्ति स्वयं को सतनामी न कहें l परम पुज्यनीय मालिकराम जोशी कहते थे कि "गुरूघासीदासजी से ऐसा कोई आपेक्षा न रखो जो सत्य, धर्म और राष्ट हित को आहत पहुंचाता हो" इसलिए समस्त सतनामी भाईयों और दर्शनार्थियों से आग्रह है कि यहां और अन्य सभी सतनाम धर्म के मदिरों में मनोकामनापूर्ति हेतु उक्त भाव/बातों का ध्यान रखा जावे l

इस मंदिर का निर्माण श्री डेरहूप्रसाद घ़तलहरे पिता श्री सुखरू प्रसाद घृतलहरे जन्म तिथि 28 जून 1949 ग्राम चक्रवाय तहसिल नवागढ़ जिला बेमेतरा द्वारा कराया गया है, श्रीघ़तलहरेजी, अभिरूचि, समाज सेवा, जन सेवा और दिन-हिन ब्यक्तियोंका मदद करते है और परमपूज्य बाबा गुरू घासीदास जी के सच्चे अनुयायी है और गुरूजी के बताये मार्ग पर चलते हुये जीवन का निर्वहन करना उनका एकमात्र लक्ष्य है । माता पिता का वंदन प्रतिदिन गुरू बाबा जी के वंदन के साथ करते हैं और गरीबो की प्रथम सुनवाई एवं सेवा कार्य को अपना करतब्य मानते हैं । इसलिए हम इनके सम्मान के लिए इन्हे सच्चे सतनामी पुत्र की उपाधी से विभूषित करते हैं l

सतनाम धर्म की ओर से जनहित में प्रसारित

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हम भारत के नागरिकों के लिए भारत का संविधान समस्त विश्व के सारे धार्मिक पुस्तकों से अधिक पूज्यनीय और नित्य पठनीय है। यह हमारे लिए किसी भी ईश्वर से अधिक शक्ति देने वाला धर्मग्रंथ है - हुलेश्वर जोशी

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एतद्द्वारा सतनामी समाज के लोगों से अनुरोध है कि किसी भी व्यक्ति अथवा संगठन के झांसे में आकर धर्म परिवर्तन न करें, समनामी एवं सतनाम धर्म के लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए सतनामी समाज का प्रत्येक सदस्य हमारे लिए अमूल्य हैं।

एतद्द्वारा सतनामी समाज से अपील है कि वे सतनाम धर्म की संवैधानिक मान्यता एवं अनुसूचित जाति के पैरा-14 से अलग कर सतनामी, सूर्यवंशी एवं रामनामी को अलग सिरियल नंबर में रखने हेतु शासन स्तर पर पत्राचार करें।