" कोई बोले अधर से बोलवा हो " - Satnam Dharm (सतनाम धर्म)

मंगलवार, 11 नवंबर 2014

" कोई बोले अधर से बोलवा हो "


" कोई बोले अधर से बोलवा हो "


कोई बोले अधर से बोलवा हो ,कोई बोले अधर से बोलवा जी ,
कोई बोले अधर से बोलवा हो कोई बोले अधर से बोलवा जी !२!
सुन अमरौतीन कहे साधु बाबा ~
सुन अमरौतीन कहे साधु बाबा ,
बेटा होही सतबोलवा ओ ,
कोई बोले ...................
कोई बोले अधर से बोलवा हो कोई बोले अधर से बोलवा जी ,
कोई बोले अधर से बोलवा हो कोई बोले अधर से बोलवा जी !
(१)-माता अमरौतीन हा खटिया म सोये ,
आधी के रतिहा म सपना म खोये !
सतपुरुष लेहे साधु के भेषे ,
आमा चानी के परसादेल दे हे !
लेले परसादे ,कहे साधु बाबा बेटा हो ही सतलोखवा ओ
कोई बोले ......................
कोई बोले अधर से बोलवा हो कोई बोले अधर से बोलवा जी !२!
(२)-सतके पुजारी होही तोर लाला ,
सत के सबला पहिराही ओ माला !
सत के जोत जलाने ओ वाला ,
दुखियों के दुःख मिटाने ओ वाला !
जे दिन होही तोर घर बलि कछु के ,
तोला छोड़े परही पृथ्वी लोखवा ओ
कोई बोले .......................
कोई बोले अधर से बोलवा हो कोई बोले अधर से बोलवा जी !२!
(३-सपना के बाते ल मने म गुने ,
शंख मृदंग आवाजे ल सुने !
कहे अमरौतीन सुना तो हो जोड़ी ,
जा के देखा अंगना गली अउ खोली
माता के आँखी म सतरूपी झांके ,
लागे मधुर मन डोलवा ओ
कोई बोले .......................
कोई बोले अधर से बोलवा हो कोई बोले अधर से बोलवा जी !२!
कोई बोले अधर से बोलवा हो कोई बोले अधर से बोलवा जी ,
कोई बोले अधरसे बोलवा हो कोई बोले अधर से बोलवा जी !
सुन अमरौतीन कहे साधु बाबा !२!
बेटा हो ही सतबोलवा हो
कोई बोले .......................
कोई बोले अधर से बोलवा हो कोई बोले अधर से बोलवा जी !२!

संकलन श्री मंगल चातुरे


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