अमरटापू धाम
१. स्थिति :- पवित्र अमरटापू ३६गढ़ राज्य के तहसील- जिला मुंगेली के अंतर्गत ग्राम मोतिमपुर में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक और दर्शनीय स्थल है। यह पंडरिया के भुरकुंड पहाड़ से निकलने वाली आगर नदी द्वारा दो एकड़ के क्षेत्रफल में प्रकृतिक रूप से निर्मित टापू है। जिसके चारो ओर नदी की कल कल, छल छल करती हुई बहती जल धारायें हैं। जिसमें अमरटापू का प्रकृतिक सौंदर्य अद्भूत, अनुपम और अविस्मरणिय हो जाता है। नदी के निचले छोर में दोनो जल धाराओ का मिलन दर्शको को बेहद मनमोहक और सुहावना लगता है। अमरटापू धाम मुंगेली से लोरमी मार्ग पर ग्राम जमकोर कंतेली से पश्चिम दिशा में चार कि.मी. तथा मुंगेली से पंडरिया मार्ग पर ग्राम बाघामुड़ा से उत्तर दिशा में पांच कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
२. इतिहास :- लोकमान्यता के आधारपर क्षेत्र के बुजुर्गों, चौकाहारों का कहना है कि ३६गढ़ में 'सतनाम धर्म' के प्रवर्तक सतगुरू घासीदास बाबा जी के ज्येष्ट पुत्र परमज्ञानी, तपस्वी और परमसाधक सतगुरू बाबा अमरदास जी इसी टापू पर एकाधिक बार पड़ाव डालकर सतसंग करके लोगो को सतनाम का संदेश दिये थे इसीलिये इस टापू का नाम अमरटापू पड़ गया ।
३. मेला आयोजन :- यहाँ प्रतिवर्ष गुरू घासीदास बाबा जी के जयंती पर्व १८ दिसम्बर को भव्य और विशाल मेला लगता है। जहाँ देश और प्रदेश के अति महत्वपूर्ण लोग अपनी उपस्थिति देकर सतनाम धाम और जैतखाम में माथा टेककर अपने को धन्य करते हैं। मेला का प्रारंभ १८ दिसम्बर १९९६ को अमरटापू पर जैतखाम की स्थापना के साथ हुआ था। मेला में लाखो की संख्या में संपूर्ण समाज के श्रद्धालू अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं। जयंती कार्यक्रम में प्रसिद्ध गायकों, कलाकारों और पंथी नृत्य दलों द्वारा मंगल, भजन और प्रवचन के साथ आकर्षक पंथी नृत्य प्रस्तुत किया जाता है।
४. सुविधायें :- पवित्र अमरटापू धाम पहुँचने के लिये चारो तरफ सड़क निर्माण हो चुका है। टापू पर स्थित सतनाम धाम जाने के लिये नदी के दोनो तरफ आकर्षक पुलिया निर्माण कराया गया है। शुद्ध पेयजल की ब्यवस्था है, परिसर की प्राकृतिक सौंदर्य को बनाये रखने के लिये आसपास सुगंधित पुष्पों के पौधे लगाये गये हैं, अमरटापू के १०० मी. नीचे आगर नदी में ४५ मी. लंबा, २ मी. ऊँचा स्टापडेम का निर्माण कराया गया है। श्रद्धालूओं, दर्शनार्थियों और पर्यटकों के विश्राम के लिये सतनाम भवन का निर्माण भी किया गया है।
५. महत्व :- सतनाम धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलो गिरौदपुरी धाम, तेलासी धाम, भंडारपुरीधाम, चटुवापुरी धाम, कुआँ बोड़सरा, बाराडेरा, खपरीपुरी धाम, चक्रवाय आदि धामों के समान अमरटापू धाम भी अब प्रसिद्ध हो गया है। अपनी स्थिति, इतिहास, प्राकृतिक सौंदर्य, सुविधायें, मेला आयोजन और कार्यक्रमों का स्वरूप तथा सर्व समाज के श्रद्धालूओं की आस्था, श्रद्धा, विश्वास और उपस्थिति के कारण अमरटापू धाम का महत्व कई गुणा बढ़ गया है।
६. विशेषता :- अमरटापू धाम का प्रमुख विशेषता यह है यहाँ पर लोग जाति, धर्म, संप्रदाय, मान्यता के बंधनों से उपर उठकर आते हैं और अपनी सक्रिय भागीदारी गुरू अमरदास जी के अध्यात्म शक्ति पर दिखाते हैं। मेला और कार्यक्रम दलगत राजनिती से उपर उठकर किया जाता है।
७. अमरटापू धाम का स्वप्न दृष्टा :- अमरटापू धाम का स्थापना विकास और कार्यक्रम आयोजन में मेला समिति के उत्साही और उर्जावान अध्यक्ष डाँ. दुर्गाप्रसाद बघेल जी का प्रमुख योगदान है जो जो कि बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी, योग्य, मिलनसार और कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं उनके कुशल नेतृत्व में अमरटापू धाम आगे भी राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर अपना विशिष्ट स्थान बना पायेगा ।
गुरू अमरदास जी का आशिर्वाद सभी संत समाज पर बनी रहे, साहेब सतनाम !