सतनाम धर्म - सतनाम धर्म समस्त धर्मों का मूल है सतनाम धर्म से समस्त धर्मों की उत्पत्ति हुई है। धीरे-धीरे जब मनुष्य का विकास होता गया तब मनुष्यों के विचारों में व्यापकता आईl विविधता आई और अपने अपने स्वार्थ पनपते गये जिससे लोग सत्य के मार्ग से भटकते गये और लोग धर्मभ्रष्ट होने लगे तो विभिन्न विद्वानों द्वारा अपने प्रभुत्वसम्पन्न गुणों के माध्यम से भांति भांति के धर्म का सृजन किया गया, इसप्रकार से समग्र विश्व में अनेकोनेक धर्म की स्थापना होती गई।
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सतनाम धर्म और राजागुरू बालकदास गुरू जी समाज को एकता के सूत्र में बांधने के लिये गाँव-गाँव में भंडारी, छड़ीदार, जैसे सम्मानित पदो का चु...
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सतनामी, सतनाम धर्म के अनुयायी है न कि हिन्दू का १. छत्तीसगढ़ के किसी भी गाँव में हिन्दु लोगो द्वारा, हिन्दु पारा में सतनामी पार...
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चौका पंथी गीत बीच धारे म बोरे काबर लान के , मोला धोखा म डारे काबर जान के , मोला धोखा म डारे काबर जान के !२! (1)-ये ही जगत म पिता कलयुग...
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सतनाम और परम शक्ति अपने निजी मत के आधार पर और अपने मन की कल्पना शक्ति का उपयोग कर बात को रखना क्या कभी उचित माना जा सकता है । इसे त...
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सतनाम आरती ( सतनाम धर्म के अनुयायियों द्वारा गाये जाने वाले ) ऐसे आरती देहव हो लखाई निरखत जोत अधर फहराई पह...
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परमपुज्यनीय बाबा गुरू घासीदास जी का अवतरण परमपुज्यनीय बाबा गुरू घासीदास जी का अवतरण सचमुच जीव जगत के जीवन में जोत जलाने के लिए हुआ था।...
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जातिवाद खत्म करने के उपाय जातिवाद तभी खत्म होगी जब जाति को समाप्त कर दिया जाएगा परन्तु ऐसा होने में हजारों वर्ष बीत जाएंगे। इसलिए मु...
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परमपुज्यनीय गुरूघासी दास के उपदेश एवं जयंती का शुरूआत 18 दिसम्बर सन् 1756 को छत्तीसगढ़ की पावन धरती पर गिरौदपुरी ग्राम में मा...
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गौ माता को सतनामी समाज द्वारा राजमाता घोषित कर , संकल्प करने बाबत प्रिय संतों, माताओं और बहनों आपको विदित हो कि लगभग 1...
